स्वामी विवेकानंद का शिक्षा दर्शन

Authors

  • डॉ निशा द्विवेदी असिस्टेंट प्रोफेसर, शिक्षक शिक्षा विभाग, संबद्ध महाविद्यालय, डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या Author

DOI:

https://doi.org/10.61778/ijmrast.v2i6.62

Keywords:

स्वामी विवेकानंद, शिक्षा, दर्शन

Abstract

स्वामी विवेकानंद जी इस युग के ऐसे सच्चे भारतीय एवं दार्शनिक है, जिन्होंने अपने विचारों से केवल भारतीयों को ही नहीं अपितु पूरे विश्व को प्रभावित किया है। विवेकानन्द जी ने हमारे देश की आध्यात्मिक श्रेष्ठता और पाश्चात्य देशों की  भौतिक श्रेष्ठता से परिचित कराया। उन्होंने  मानव जीवन की विभिन्न समस्याओं पर गहन चिंतन किया। उनके  चिंतन का  क्षेत्र धर्म, दर्शन, सामाणिक और राजनीतिक व्यवस्था,  शिक्षा प्रणाली राष्ट्र का सम्मान और कई अन्य क्षेत्र थे। विभिन्न समस्याओं पर उनके विचारों ने राष्ट्र को एक कई दिशा दी । स्वामी जी  का मानना था कि “ शिक्षा मनुष्य की अन्तर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।“ वह शिक्षा के माध्यम से व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में विश्वास रखते थे। इन्होंने उद्घोष किया कि प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षित करो और शिक्षा के द्वारा मानव में  ज्ञान और कुशलता को  विकसित करो, जिससे वे अपने जीवन के  प्रत्येक क्षेत्र में कुशलतापूर्वक कार्य कार्य करने में सक्षम है। स्वामी विवेकानन्द जी ने जनसेवा एवं जन शिक्षा की व्यवस्था की, समाज  से वर्गभेद, विशेषाधिकार,  अंधविश्वास को मिटाने में पूर्ण योगदान दिया  कुल मिलाकर स्वामी जी के शैक्षिक विचार भारतीय धर्म एवं दर्शन पर आधारित है और भारतीय दर्शन आयुर्वेदिक के बारे में के अनुकूल है। स्वामी विवेकानन्द जी के बारे में पं. जवाहर लाल नेहरू के विचार “ भारत के अतीत में सरल आस्था रखते हुए और भारत की विरासत पर गर्व करते हुए श्री स्वामी जी का जीवन की समस्यायों के प्रति दृष्टिकोण आधुनिक था भीर में भारत के अतीत तथा वर्तमान के बीच एक  बड़े संयोजक थे।“

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Published

2024-06-16

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Articles

How to Cite

स्वामी विवेकानंद का शिक्षा दर्शन. (2024). International Journal of Multidisciplinary Research in Arts, Science and Technology, 2(6), 18-22. https://doi.org/10.61778/ijmrast.v2i6.62