डॉ भीमराव अंबेडकर का सामाजिक न्याय का सिद्धांत

Authors

  • डॉ. संजय भारद्वाज एसोसिएट प्रोफेसर, पोलिटिकल साइंस, राजकीय महाविद्यालय, परबतसर Author

DOI:

https://doi.org/10.61778/ijmrast.v3i10.197

Keywords:

डॉ. भीमराव अंबेडकर, सामाजिक न्याय, समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व, लोकतंत्र, मानवाधिकार, जाति-उन्मूलन, संवैधानिक न्याय, दलित उत्थान।

Abstract

डॉ. भीमराव अंबेडकर का सामाजिक न्याय का सिद्धांत भारतीय समाज में समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने जाति-व्यवस्था, अस्पृश्यता और सामाजिक असमानताओं के विरुद्ध आजीवन संघर्ष किया। अंबेडकर के अनुसार, वास्तविक लोकतंत्र तभी संभव है जब समाज के सभी वर्गों को समान अवसर और अधिकार प्राप्त हों। उनके विचारों में सामाजिक न्याय केवल कानूनी अधिकारों की प्राप्ति नहीं है, बल्कि यह मानवीय गरिमा, समान भागीदारी और आत्मसम्मान की स्थापना का माध्यम है। संविधान निर्माण में उनकी भूमिका ने भारत को सामाजिक न्याय का संवैधानिक ढांचा प्रदान किया, जो आज भी प्रासंगिक है। डॉ. अंबेडकर का यह सिद्धांत न केवल दलितों के उत्थान का प्रतीक है, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए समानता और न्याय का संदेश देता है।

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Published

2025-10-31

How to Cite

डॉ भीमराव अंबेडकर का सामाजिक न्याय का सिद्धांत. (2025). International Journal of Multidisciplinary Research in Arts, Science and Technology, 3(10), 52-58. https://doi.org/10.61778/ijmrast.v3i10.197