मानव समाज एवं न्याय: जॉन रॉल्स एवं अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors

  • Saumya Kumari Senior Research Fellow, Department of Philosophy & Religion, Banaras Hindu University, Varanasi Author

DOI:

https://doi.org/10.61778/ijmrast.v3i10.191

Keywords:

न्याय, राजनीतिक सिद्धांत, सामाजिक न्याय, नैतिकता, विचारक

Abstract

न्याय एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है। राजनीतिक सिद्धांत और व्यवहार दोनों में इसका केंद्रीय महत्व है। वास्तविक अर्थों में न्याय उन मूल्यों में से एक है जिसे सभ्य समाज और राज्य आदर्श मानते हैं। सरल शब्दों में, यह एक एकीकृत अवधारणा है, जो लोगों के अधिकारों और दायित्वों, पुरस्कार और दंड का पूरा-पूरा वितरण करके उनके बीच सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करती है।  इस प्रकार हम कह सकते हैं कि न्याय मानव समाज की नींव है जो नैतिकता, समानता, स्वतंत्रता जैसे मूल्यों पर आधारित है। प्राचीन काल से ही दार्शनिकों और विचारकों ने न्याय के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए हैं। लेकिन आधुनिक युग में जॉन रॉल्स और अमर्त्य सेन दो प्रमुख नाम हैं जिन्होंने न्याय की अवधारणा को एक नई दिशा दी।

रॉल्स ने अपनी पुस्तक "ए थ्योरी ऑफ़ जस्टिस" में सामाजिक न्याय को निष्पक्षता के रूप में प्रस्तुत किया है और तर्क दिया है कि समाज को इस तरह से संगठित किया जाना चाहिए कि इससे कमजोर वर्ग के लोगों को भी लाभ मिले।

अमर्त्य सेन ने "द आइडिया ऑफ़ जस्टिस" में व्यावहारिक न्याय की अवधारणा दी। सेन का मानना है कि न्याय के सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत सिद्धांत के आधार पर किसी संस्था का मूल्यांकन करने के बजाय सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक जीवन में अन्याय के विभिन्न पहलुओं और कारणों को उजागर करना बेहतर है।

इस शोध पत्र का उद्देश्य दोनों विचारकों के सिद्धांतों का विश्लेषण करना और न्याय की परिभाषा और उसके सामाजिक प्रभावों को समझने का प्रयास करना है।

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Published

2025-10-29

How to Cite

मानव समाज एवं न्याय: जॉन रॉल्स एवं अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन. (2025). International Journal of Multidisciplinary Research in Arts, Science and Technology, 3(10), 34-39. https://doi.org/10.61778/ijmrast.v3i10.191