अरुणाचल प्रदेश की आदी समुदाय की कृषि कार्यों में आदी स्त्री की भूमिका
DOI:
https://doi.org/10.61778/ijmrast.v3i7.156Keywords:
अरुणाचल प्रदेश, आदी समुदाय, झूम खेती, पारंपरिक कृषि, स्त्री, सामाजिक-आर्थिक विकासAbstract
अरुणाचल प्रदेश के आदी समुदाय की सामाजिक संरचना में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है । यह समुदाय कृषि पर आधारित जीवनशैली अपनाए हुए है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं के कार्यक्षेत्र स्पष्ट रूप से विभाजित हैं । विशेष रूप से महिलाओं की भूमिका कृषि कार्यों में केंद्रीय रही है । पुरुष जहाँ झूम खेती में पेड़ों की कटाई जैसे शारीरिक रूप से कठिन कार्यों को करते हैं, वहीं महिलाएँ बीज बोने, कटाई, भंडारण तथा बागवानी जैसे अधिकांश कृषिकार्य स्वयं करती हैं । अरुणाचल प्रदेश के आदी समुदाय पारंपरिक रूप से कृषि पर निर्भर है। इस समुदाय में महिलाएँ न केवल घरेलू कार्यों में, बल्कि कृषि कार्यों में भी समान रूप से योगदान देती हैं। आदी स्त्रियाँ खेती की लगभग सभी प्रक्रियाओं में भाग लेती हैं, जैसे भूमि की तैयारी, बीज बोना, निराई-गुड़ाई, कटाई और फसल संग्रहण। झूम खेती' (shifting cultivation) आदी समुदाय की प्रमुख कृषि पद्धति है, और इस प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे सुबह जल्दी खेतों में पहुँच जाती हैं और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं। इसके अलावा महिलाएँ बीजों का चयन, संरक्षण तथा पारंपरिक जैविक खाद तैयार करने में भी कुशल होती हैं। आदी स्त्रियाँ न केवल खेतों में कार्य करती हैं, बल्कि कृषि उत्पादों को बाजार में ले जाकर बेचने का कार्य भी संभालती हैं, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को सशक्त बनाने में योगदान मिलता है। इस प्रकार आदी समुदाय की महिलाएँ कृषि कार्यों की रीढ़ मानी जाती हैं। उनका श्रम, ज्ञान और प्रतिबद्धता पारंपरिक कृषि प्रणालियों के संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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