बिहार की जैव विविधता एवं वन संपदा: प्रकृति की अनमोल धरोहर का वर्तमान विश्लेषण
DOI:
https://doi.org/10.61778/ijmrast.v3i3.134Keywords:
जैव विविधता संरक्षण, वन संपदा, हरित आवरण, कार्बन स्टॉक, जलवायु परिवर्तन, वनभूमि डायवर्जन, पारिस्थितिकी तंत्रAbstract
यह शोध पत्र बिहार में जैव विविधता एवं वन संसाधनों की वर्तमान स्थिति, प्रवृत्तियों, चुनौतियों और संरक्षण प्रयासों का एक व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। राज्य ने वन आवरण और वृक्ष आवरण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जो 2011 से 2023 के बीच 687 वर्ग किमी बढ़ा है तथा कुल हरित आवरण राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 14.75 प्रतिशत हो गया है। इसके अतिरिक्त, कार्बन स्टॉक में भी वृद्धि देखी गई है, जिसमें मृदा कार्बन का प्रमुख योगदान है, जो जलवायु परिवर्तन को कम करने के प्रयासों में राज्य की भूमिका को रेखांकित करता है। हालांकि वन अग्नि की बढ़ती घटनाएँ, विशेषकर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तथा विकास परियोजनाओं के लिए वन भूमि का डायवर्जन प्रमुख चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, बिहार सरकार ने हरियाली मिशन, जल-जीवन-हरियाली अभियान, नमामि गंगे, प्रोजेक्ट टाइगर व एलिफेंट जैसी कई महत्वाकांक्षी पहलें शुरू की हैं। इन पहलों में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण, कृषि-वानिकी को बढ़ावा देना, आर्द्रभूमि का संरक्षण तथा वन्यजीव आवासों की सुरक्षा शामिल है। विक्रमशिला गांगेय डॉल्फिन अभयारण्य जैसी विशिष्ट प्रजाति संरक्षण परियोजनाएँ भी महत्वपूर्ण हैं। शोध पत्र में इन प्रवृत्तियों का गहन विश्लेषण किया गया है एवं सतत वन प्रबंधन तथा जैव विविधता संरक्षण के लिए नीतिगत निहितार्थों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें वन आवरण की गुणवत्ता में सुधार और मानव-जनित दबावों को कम करने पर जोर दिया गया है।
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