नासिरा शर्मा की कहानियों में स्त्री विमर्श: लैंगिक असमानता और सामाजिक परिवर्तन की दृष्टि से एक आलोचनात्मक समीक्षा
DOI:
https://doi.org/10.61778/ijmrast.v3i1.106Keywords:
स्त्री विमर्श, नासिरा शर्मा, लैंगिक असमानता, सामाजिक परिवर्तन, नारीवादी दृष्टिकोणAbstract
इस शोध पत्र का उद्देश्य नासिरा शर्मा की रचनाओं में मौजूद नारीवादी विमर्श की जांच करना है, जो लैंगिक असमानता, महिला अधिकारों और सामाजिक परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में उनके योगदान पर केंद्रित है। नासिरा शर्मा की रचनाओं में मुख्य रूप से महिला पात्रों की कठिनाइयाँ और उनके आत्म-विकास की यात्राएँ प्रस्तुत की गई हैं। ये लड़ाइयाँ समाज में प्रचलित पुरानी सामाजिक संरचनाओं और विचारों पर सवाल उठाती हैं। उनके नायक अपनी पहचान और अधिकारों की रक्षा करने की चुनौती का सामना करते हैं, साथ ही सामाजिक असमानता के प्रभावों से भी जूझते हैं। उनके कार्यों के उपयोग के माध्यम से, यह अध्ययन यह समझने का इरादा रखता है कि नासिरा शर्मा नारीवादी विमर्श की अवधारणाओं को लोककथाओं और सांस्कृतिक संकेतों के साथ कैसे एकीकृत करती हैं। यह जाँच पूरी तरह से द्वितीयक डेटा स्रोतों पर आधारित है, जिसमें साहित्यिक मूल्यांकन, समीक्षाएँ और अतीत में प्रकाशित अध्ययन शामिल हैं। नासिरा शर्मा द्वारा लिखी गई कहानियाँ न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे समाज में लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में भी काम करती हैं। नारीवादी दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए, उनकी रचनाएँ समाज में रचनात्मक परिवर्तन की दिशा में योगदान देती हैं, जिसका लक्ष्य महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करना है। इस अध्ययन ने नारीवादी विमर्श के विषय में शोध के लिए नए रास्ते खोले हैं और नासिरा शर्मा के कार्यों पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त, इसने आगे की जांच के लिए नए अवसर खोले हैं।
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